ITR Filing के 30 दिन के अंदर वेरिफाई करना जरूरी, वर्ना भरना पड़ेगा जुर्माना!

आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करना एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जिसे हर करदाता को समय पर पूरा करना चाहिए। परंतु, आईटीआर दाखिल करने के बाद उसे वेरिफाई करना भी उतना ही आवश्यक है। अगर आप 30 दिन के भीतर अपने आईटीआर को वेरिफाई नहीं करते हैं, तो आपको आयकर विभाग की धारा 234F के तहत जुर्माना भरना पड़ सकता है।




आईटीआर वेरिफाई करने की समय सीमा

आयकर अधिनियम 1961 के अनुसार, आईटीआर दाखिल करने के बाद उसे 30 दिनों के भीतर वेरिफाई करना जरूरी है। आयकर विभाग द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों के अनुसार, आईटीआर फाइल करने के 30 दिन बाद की पहली तारीख वेरिफिकेशन की तारीख मानी जाएगी। इसका मतलब यह है कि अगर आपने आईटीआर 1 जुलाई को दाखिल किया है, तो आपको 30 जुलाई तक इसे वेरिफाई करना होगा।

आईटीआर वेरिफाई कैसे करें?

आईटीआर वेरिफाई करने के कई तरीके हैं जो आयकर विभाग द्वारा मान्य हैं। इनमें से कुछ प्रमुख तरीके निम्नलिखित हैं:

आधार आधारित ओटीपी (One-Time Password)

आप अपने आधार कार्ड को पैन कार्ड से लिंक कर सकते हैं और आधार आधारित ओटीपी के जरिए आईटीआर को वेरिफाई कर सकते हैं। यह प्रक्रिया सरल और त्वरित होती है।

नेट बैंकिंग

आप अपने नेट बैंकिंग खाते के माध्यम से भी आईटीआर को वेरिफाई कर सकते हैं। इसके लिए आपको अपने बैंक की नेट बैंकिंग सेवा में लॉगिन करना होगा और ई-वेरिफिकेशन विकल्प का चयन करना होगा।

वैध बैंक खाता और डीमैट खाता

अगर आपके पास वैध बैंक खाता या डीमैट खाता है, तो आप उसे भी आईटीआर वेरिफिकेशन के लिए उपयोग कर सकते हैं। इन खातों के माध्यम से जनरेट ईवीसी (Electronic Verification Code) का उपयोग करके आप वेरिफिकेशन कर सकते हैं।

डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट (DSC)

डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट का उपयोग करके आप अपने आईटीआर को सुरक्षित तरीके से वेरिफाई कर सकते हैं। यह तरीका खासकर उन करदाताओं के लिए उपयुक्त है जिनकी आय अधिक है या जिनके पास डिजिटल सिग्नेचर पहले से मौजूद है।

वेरिफाई न करने पर जुर्माना

अगर आप 30 दिन के भीतर अपने आईटीआर को वेरिफाई नहीं करते हैं, तो आपको आयकर विभाग की धारा 234F के तहत जुर्माना भरना पड़ सकता है। इसके अनुसार:

  • 5 लाख रुपये तक की कुल आय: 1,000 रुपये का जुर्माना
  • 5 लाख रुपये से अधिक की कुल आय: 5,000 रुपये का जुर्माना

यह जुर्माना तब लागू होगा जब आप आईटीआर फाइल करने के बाद उसे वेरिफाई नहीं करते हैं। इसलिए, समय पर वेरिफिकेशन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

आईटीआर वेरिफिकेशन का महत्व

आईटीआर वेरिफिकेशन न केवल आयकर विभाग की आवश्यकता है बल्कि यह आपके लिए भी फायदेमंद है। वेरिफिकेशन के बाद ही आपका आईटीआर प्रोसेस किया जाता है और रिफंड जारी किया जाता है। इसके बिना आपका आईटीआर अधूरा माना जाता है और आप टैक्स रिफंड का लाभ नहीं उठा सकते।

वेरिफिकेशन प्रक्रिया को सरल बनाने के टिप्स

वेरिफिकेशन प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए कुछ सुझाव निम्नलिखित हैं:

  1. समय पर दस्तावेज़ तैयार करें: अपने सभी आवश्यक दस्तावेज़ पहले से तैयार रखें ताकि वेरिफिकेशन के समय कोई दिक्कत न हो।
  2. सत्यापित संपर्क जानकारी: अपनी ईमेल और मोबाइल नंबर को सही और अद्यतन रखें ताकि आपको आयकर विभाग की सभी सूचनाएं समय पर मिल सकें।
  3. नेट बैंकिंग और आधार लिंक करें: अपने आधार को पैन से लिंक करें और नेट बैंकिंग सेवा का उपयोग करें ताकि आप जल्दी और आसानी से वेरिफाई कर सकें।

निष्कर्ष

आईटीआर दाखिल करना और समय पर वेरिफाई करना करदाताओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह न केवल आयकर नियमों का पालन करने में मदद करता है बल्कि आपके वित्तीय रिकॉर्ड को भी स्पष्ट और अद्यतित रखता है। समय पर वेरिफिकेशन न करने पर जुर्माना भरने से बचने के लिए ऊपर बताए गए सभी तरीकों और सुझावों का पालन करें।

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